इश्क़
इश्क़
प्रीत तू ओझल हो भी जाए, तो कहा जाएगी
जहां जायेगी, हर मानुष में वैधविक को पाएगी।
आज कल परसों बरसों, कभी तो याद आएगी
आंखे बंद कर लेना, दिल में 'वैधविक' को पाएगी।
इश्क ही तो था, जीने के लिए कही और दिल लगाएगी
चल जा तुझे जाने दिया, अब कहा 'वैधविक' को पाएगी।
मान लिया तू भूल गयी, और भूल भी जाएगी
'वैधविक' है मेरा नाम, किस किस से छुपाएगी।

