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वैधविक (विशाल भारद्वाज)

Inspirational

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वैधविक (विशाल भारद्वाज)

Inspirational

बवाल

बवाल

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बदल गया दुनिया से रूबरू होकर,

अगर अपने ही गुरूर में होता सोचो कितना बवाल होता।


मैं, मैं नहीं रहा शायद किसी वजह से,

अगर मैं, मैं ही रहता तो सोचो कितना बवाल होता।


किसी साथ का इंतजार था शायद,

अगर इंतजार ना होता तो सोचो कितना बवाल होता।


रुक गया था कहीं, किसी डगर पर,

अगर वक़्त का ठहराव ना होता तो सोचो कितना बवाल होता।


जिम्मेदारियां कहूं या बहाना वक़्त का,

अगर जिम्मेदार ना होता तो सोचो कितना बवाल होता।


हाहाकार मचाने को तो एक चिंगारी ही काफी है,

अगर मेरे दिल का इलाज ना होता तो सोचो कितना बवाल होता।



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