वैधविक (विशाल भारद्वाज)
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स्वर्ण मुद्राएं यश कीर्ति, चंद आमोद ना ले पाए,
'वैधविक' कर्म जो करता जाए आह्लाद को ले पाए।
शीर्षक : वर्त...
कृष्ण ज्ञान
अवचेतन मन
आह्लाद
इश्क़
अखंड भारत
बवाल
एक सुबह उठूंग...
निष्काम प्रेम
मै हूं अखंड भ...
उसी दिन उसी समय से बन गई वह घर की समृद्धि की दारोमदार। उसी दिन उसी समय से बन गई वह घर की समृद्धि की दारोमदार।
तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना। तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना।
नमन तुम्हे है हे! माता, मै शत शत बार प्रणाम करूॅ॑। शब्द नहीं मेरे मन मंदिर में। नमन तुम्हे है हे! माता, मै शत शत बार प्रणाम करूॅ॑। शब्द नहीं मेरे मन मंदिर मे...
गलत शब्द प्रयोग करें तो होती है बड़ी निराशा। गलत शब्द प्रयोग करें तो होती है बड़ी निराशा।
बैर और नफरत की दीवार को, मिलकर मिटटी में मिलाते हैं चलो इस जनवरी, जन जन को जगाते हैं. बैर और नफरत की दीवार को, मिलकर मिटटी में मिलाते हैं चलो इस जनवरी, जन जन को...
चहूँ ओर घोर निराशा के बादल छाए, बता किस विध तुझे मैं मनाऊं माँ।। चहूँ ओर घोर निराशा के बादल छाए, बता किस विध तुझे मैं मनाऊं माँ।।
पुनर्जन्म से पहले आत्मा करती है थोड़ा आराम! पुनर्जन्म से पहले आत्मा करती है थोड़ा आराम!
.चलो आज एक बात बताता हूं । ... तुम्हे जीने की राह दिखाता हूं ।। .चलो आज एक बात बताता हूं । ... तुम्हे जीने की राह दिखाता हूं ।।
कहानी थी, अँधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा I कहानी थी, अँधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा I
तब उठा ले यदि कोई अनुचित कदम, हो जाता है तब उससे जु ड़ा हर जीवन बेरंग l तब उठा ले यदि कोई अनुचित कदम, हो जाता है तब उससे जु ड़ा हर जीवन बेरंग l
वो राधा है वो गीता है वो शक्ति है वो सीता है. वो राधा है वो गीता है वो शक्ति है वो सीता है.
एक खींचता इस जीवन रथ को, तो दूजा हरदम राह दिखाता है. एक खींचता इस जीवन रथ को, तो दूजा हरदम राह दिखाता है.
शबनम की मधुर फुहार है बेटी, विधि का अनुपम उपहार है बेटी। शबनम की मधुर फुहार है बेटी, विधि का अनुपम उपहार है बेटी।
सांस ये जब तक बाकी है, सब कर्म रहूँ में यूँही करती। सांस ये जब तक बाकी है, सब कर्म रहूँ में यूँही करती।
पुकार ले कोई जो पीछे से, तो रुक जाएं ये कदम. पुकार ले कोई जो पीछे से, तो रुक जाएं ये कदम.
इंद्रधनुष देखकर मेरे मन में सदा, एक ही ख्याल आता है! इंद्रधनुष देखकर मेरे मन में सदा, एक ही ख्याल आता है!
तुम्हें सीखना होगा लड़ना, दुष्ट और हैवानों से। तुम्हें सीखना होगा लड़ना, दुष्ट और हैवानों से।
जीवन की दुर्गम राहों पर, राही तुझ को चलना होगा । जीवन की दुर्गम राहों पर, राही तुझ को चलना होगा ।
मोक्ष तो सहज ही स्वयं को पाना, पाया बस वही जिसने यथार्थ को माना। मोक्ष तो सहज ही स्वयं को पाना, पाया बस वही जिसने यथार्थ को माना।
देवालय में बैठा बैठा मैं मन में करता ध्यान। शुभ दिन आया मैं करूँ दीप कौन सा दान। देवालय में बैठा बैठा मैं मन में करता ध्यान। शुभ दिन आया मैं करूँ दीप कौन सा द...