इश्क का मरीज़
इश्क का मरीज़
तेरी यही अदाओं पे हम मरतें हैं,
तेरी नजरों से हम घायल बनतें हैं,
आ कर हमारा ईलाज करो सनम,
हम तेरे ईश्क के मरीज़ बन गये हैं।
ईश्क का रोग रोम रोम फैल रहा है,
दिन रात लब पर तेरा ही नाम है
आ कर दिल में नज़र करो सनम,
तस्वीर तेरी हमारे दिल में रहती है।
तेने नैनो के आयनेंमें हम रहते हैं,
हर पल तेरा साया बनकर घूमतें हैं,
कभी तो मुंह मोड़कर देखो सनम,
हम तेरे ईश्क की मिशाल बने हैं।
तेरे हुस्न की महक मन में फैली है,
महक से हम मदहोश बने हैं,
"मुरली" को अब न तड़पाओ सनम,
हम तेरे ईश्क में मज़नू बन गये हैं।