इश्क़ हो गया
इश्क़ हो गया
अँधेरी लम्बी रातों में जागने का
यह कैसा सबब हो गया ?
उनकी तस्वीर को, सीने में
बसाने का अनजाने में गुनाह
हो गया
लब पर उनके मिलने का,
कोई इकरार ना था।
आँखों में उनकी प्यार का,
कोई इज़हार ना था।
पर इन आँखों ने,
यह - क्या पढ़ डाला ?
तन्हाइयों में, उनको
अपना कर डाला,
वह मुझे अपनाये या ना,
यह है उनकी मर्जी।
पर ख़ुदा को दे आये है,
उनको पाने की अर्जी।
खुदाया यह क्या हो गया ?
इक तरफ़ा ही सही,
पर इश्क़ हो गया !

