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Asha Gandhi

Drama

4.8  

Asha Gandhi

Drama

मेरी सखी

मेरी सखी

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मेरे बचपन की वह साथी थी,

संग स्कूल आती -जाती थी,

संग मेरे हँसती हँसाती थी, 

सदा मेरा साथ निभाती थी। 


उसकी हर मुस्कराहट प्यारी थी, 

दुनिया मे वह सबसे न्यारी थी,

जो कभी ना किसी से हारी थी,

वो मेरी सखी प्यारी थी !


हममें सदा सच्चा प्रेम था,

हम दोनों में अटूट स्नेह था 

ईश्वर को मंजूर न था, हमारा साथ 

साथ ले गया, उसका छुड़ाकर हाथ। 


रोते हुए वह छोड़ गयी थी मुझे,

बेसहारा सा बना गयी थी मुझ

े,

क्या विधाता को भी तरस न आया ?

अलग कर दिया मुझसे मेरा साया !


उसकी याद सदा ही रुलाती है,

सपने में वह अक़सर आती है,

आशा ही है, कभी तो मुझे बुलायेगी,

सखी, सखी के गले मिल जाएगी। 


जब भी बादल छाते हैं,

उसकी याद दिलाते हैं। 

हर बूँद में उसका गीत गूँजता है,

तब मुझे- कुछ नहीं सूझता है। 


बादलों को उसका पैगाम जान,

अपनी सखी का ही रूप मान,

पागल हो कर, हर बूंद को चूमती हूँ,

उसकी अनमोल यादों में झूमती हूँ। 


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