ननद
ननद
ननदें घर की जान होती हैं,
रूठ जाती हैं कभी खुद मनाती है
प्यार करती हैं बहुत ज्यादा, कभी बहुत इतराती हैं।
लड़ जाती है भाभी के लिये पूरे घर से,
सबकी खुशियों के लियें परेशान होती हैं
थोड़े से प्यार के बदले वो ढेर सारा अपनापन दे जाती हैं
रूठती हैं जितनी जल्दी, उतनी जल्दी मान जाती हैं ।
थोड़े से नखरे करती है, थोड़ा सा भाव खाती हैं,
घर हरा भरा सा रहता है उनके बस होने से,
वो घर का इतना कीमती सामान होती हैं
आखिर ननदें घर की जान होती है।