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Swati Sharma

Others

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Swati Sharma

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ख़्वाहिश

ख़्वाहिश

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जगाये रखती हैं जो मुझे

तेरी ही तो वो आहटें हैं

सुकून पहुँचाती हैं जो दिल को

तू ही तो वो राहतें हैं


यूं तो कोई वजह नहीं ज़िन्दा रहने की,

जी लेता हूँ जिसकी उम्मीदों पर

तेरी ही तो वह ख़्वाहिशें हैं।।



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