होते हैं तभी
होते हैं तभी
एक और एक ग्यारह होते हैं तभी
जब दो मिलकर काम करते हैं सभी।
शक्ति दूनी, हाथ चार, मन का बल बढ़ जाता
सब संभव हो जाता जब दो का मन मिल जाता।
न कोई उन्हे हरा पाता ,सब पर भारी होते
उनके नाम के चर्चे हर एक मुँह पर होते।
हर बार मिसाल उनकी ही दे दी जाती
जब बात एक और एक ग्यारह की होती।
प्यार व विश्वास की डोर है दोस्ती
एक और एक ग्यारह का मोल दोस्ती।
