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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

मेरा दिल है बीमार

मेरा दिल है बीमार

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मेरा दिल है बीमार

बिना बात लड़ना,

बिना बात झगड़ना,

मैं हूँ गुस्से की बहार

दिल मेरा तो एक टायर है


बिना बात करता ये फायर है

आ बैल मुझे मार,

में जिंदा होकर भी हूं,

बिना सुरों का एक गिटार

बहुत ही अच्छा ये समां है

हर कोई खुशी का लम्हा है,


पर में क्या करूँ

दुसरो को सताने से ही,

मेरा सन्तुष्ट होता है,अहंकार

हर वक्त ही तन्हा रहता हूं


मैं हो गया हूँ, 

आजकल बेवफाई का प्यार

हर मुसीबत मेरे ही गले लगती है,

मुसीबतों से मुझे है अटूट प्यार

दिल तोड़कर हंसना,


जख्मों पर नमक छिड़कना

ये सब काज करने को,

में हूँ बहुत ही होशियार

वो ख़ुदा भी परेशान है

हरक़तों से मेरी हैरान है,


दूसरे तो क्या

वो ख़ुदा भी नहीं करता

मुझसे रार।


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