जीवन का सार
जीवन का सार
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दुनिया एक मुसाफिर खाना है
यहाँ आना और चले जाना है
जाना तो है, तुझे भी ए बस्तूर
दुनिया का है, बस यही दस्तूर
कर्म अच्छे कर ले बंदे
छोड़ दे यह काले धंधे
जग में करता जा अच्छे काम
यही कहता है धर्म ईमान
रचनाकार की मानव,
तू है श्रेष्ठ रचना
मानवता की तुझे
मिसाल है बनना
यही है तेरे लिए उपयोगी ,
बनेगा अंत में तेरा सहयोगी।