मैं बैल हूँ
मैं बैल हूँ


मैं बैल हूँ !
कहते "आ बैल मुझे मार",
लाल रंग देखाते बार बार।
मुसीबत से करते जो प्यार,
मुश्किलों से माने न जो हार।
इस कहावत का यहीं है सार,
खतरों से दूर रहो मेरे यार।
मैं बैल हूँ
क्रोध में बना आपदा का संसार।
मैं बैल हूँ!!
तेली का बैल को,
घर ही पचास कोस।
कोल्हू का बैल बुलाकर,
तुम क्यों करते अफसोस।
काम में डूबा रहा मैं हरपल,
मुहावरा तुने दिया परोस।
मैं बैल हूँ
तेरी लिए बना मैं परिश्रम का ओस।
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मैं बैल हूँ !
बैल का बैल गया,
नौ हाथ का पगहा भी गया।
नुकसान तेरा हो रहा,
घाटे पर तू खूब रोया।
लोकोक्तियों की भीड़ में,
मैंने खुद को बहुत पाया।
मैं बैल हूँ
तूने मुझे सम्पत्ति का सूचक पाया।
मैं बैल हूँ !
नंदि बनाकर मनुष्य तुने,
मुझे मंदिर में बिठाया।
शिव भक्त की रूप देकर,
ज्ञान का स्रोत बताया।
सावन में आकर मेरे कान में
अपनी इच्छाओं को जताया।
मैं बैल हूँ
तूने मुझे भगवान बनाया।