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Kiran Bala

Drama

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Kiran Bala

Drama

आ बैल मुझे मार

आ बैल मुझे मार

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है क्यों अब कोई हताशा

ह्रदय में उमंग न कोई आशा

घूमते हो अब बन तमाशा

ले संग स्मैक चरस और गाँजा

किया स्वमेव ये अपना हाल

हुआ वही, आ बैल मुझे मार


देता नहीं कोई साथ जरा सा

न कोई सहानुभूति और दिलासा

टूटते रिश्ते बिखरती अभिलाषा

व्यंग्य कटाक्ष की चुभती भाषा

बुना खुद ही ने नशे का जाल

हुआ वही, आ बैल मुझे मार


बना शरीर कंकाल-सा ढांचा

हुआ रक्त अब विष के जैसा

किया रोगों ने कब्जा ऐसा

दहका बदन अंगार के जैसा

अब क्यों करे मृत्यु की फरियाद

हुआ वही, आ बैल मुझे मार।


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