इरफान खान
इरफान खान
संसार का नियम है
आना और जाना है
दे गया वह आखरी सलाम
जिंदगी की कश्ती शुरू की थी
जिसने *सलाम बॉम्बे* से
आज दे गया वह आखरी
सलाम भीगे अश्रु से
जिस तरह *लाइफ ऑफ पाई* में
लड़ता रहा जीने के लिए
उसी प्रकार हस्पताल में
लड़ता रहा कैंसर से जीने के लिए
*हिंदी मीडियम* हो या
*अंग्रेजी* *मीडियम* से
वह *मदारी* दिल ले गया
हर मीडियम से
कोरोना का *पजल* सुलझा नहीं
*हिस* करके डस गया
एक और सितारा जो रहा नहीं
*वॉरियर्स* था वो जो
बीमारी में भी मुस्कुरा रहा था
*किस्सा* हो गया वह कल का
जो बिस्तर में झुंज रहा था
जिंदगी भर संघर्ष करता रहा
*यूं होता तो क्या होता* सोचता रहा
यह साली जिंदगी कब धोखा दे जाए
*Right ya wrong* के
मतभेड़ में जान क्यों ना चली जाए
भगवान किसी को ऐसा *रोग* ना दे
बीमारी की *तलवार* बनकर
कोई किसी को खो ना दें
चले गए हो छोड़कर जहां
याद आओगे हर पल तुम यहां
भीगे अश्रु से तुम्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि !