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Kavita Agarwal

Children Stories

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Kavita Agarwal

Children Stories

परिंदा

परिंदा

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आओ सुनाऊ एक परिंदे की कहानी।

बाग में देखा मैंने मैंना हुई सयानी ।।

सज धज के अपने पंख फैलाए।

चोंच को अपने साफ किए चमकाए।।


मीठी-मीठी धुन गुनगुनाए।

उड़ चली वह सपने सजाए ।।

टिम टिम बरस रहा था पानी।

इंद्रधनुष ने बिखरे अपने रंगों की रानी ।।


बादलों को पार करें ।

आया तोता सजे संवरे ।।

देख तोता मैना शरमाई।

ओढ़ चुनर प्यार की पीहू पीहू गुनगुनाई।।


बाघ मेरा विरान हुआ।

तोता मैना एक हुए।।

एक आंधी ऐसी आई ।

लहरों पर लहरें डूब गई ।।


घोंसला मेरा टूट गया।

ना जाने परिंदा कहां खो गया।।

हरे हरे अंडे छोड़।

ना जाने कैसा आया मोड़।।


फिर एक नई सुबह हुई ।

बाग मेरा खिल गया यूंही ।।

निराशा में आशा फिर दिखी।

 उम्मीदों में होंसला फिर उठी।।


 आओ सुनाऊं परिंदों की कहानी।

 बाग में बोले फिर पीहू पीहू।।


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