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Kavita Agarwal

Tragedy

2  

Kavita Agarwal

Tragedy

छूओ ना

छूओ ना

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छोटी थी मैं बहुत छोटी भी नहीं।

उम्र के उस पड़ाव में थी कहीं ।।


जहां पहली बार मुझे पीरियडस हुआ था। 

छोटी नहीं थी तो बड़ी भी नहीं।।


 हंसती थी मुस्कुराती थी ।

बहुत ज्यादा चुलबुली थी ।।


चिप्स और चॉकलेट की शौकीन थी ।

मां पापा की एक लाड़ली धड़कन थी।।


 घर में गेस्ट ,अंकल आते जाते ।

उन्हें कोई नहीं रोक पाते ।।


और रोके भी क्यों ।

गलत थोड़ी थी यूं ।।


उस दिन अंकल घर आए

 घर में कोई नहीं था वह चले गए ।।


फिर वापस कुछ देर बाद आ गए।

कहां पापा आए नहीं कहां गए ।।


मैंने कहा पार्टी में ।

उन्होंने कहा तुम नहीं गई साथ में।।


 मैंने कहा होमवर्क है ।

पड़ेगी डांट क्यों जाना है ।।


हाथों में चॉकलेट दिया ।

कहा होमवर्क दिखाओ जो टीचर ने दिया ।।


ना मैं छोटी थी ।

ना मैं बड़ी थी ।।


लड़कपन के उम्र में।

 दिखा दिया होमवर्क उनको कमरे में।।


 अंकल बोले चॉकलेट खाओ ।

और बोले चॉकलेट के बदले में एक मेरी पप्पी खाओ ।।


अंकल थे ना, देदी पप्पी।

 इसमें उन्होंने ले ली मेरी पप्पी ।।



फिर कसके जकड़ लिया ।

गोद में बिठा लिया ।।


यहां वहां सब जगह छू लिया।

 मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया ।।


 जब चिल्लाने लगी मैं ।

तो डरा दिया कि मम्मी पापा को मार दूंगा मैं ।।


मैं सहम गई डर गई ।

सब गड़बड़ हो गई ।।


बहुत रोई बहुत रोई ।

फिर डर कर संभल गई ।।


 किसी से कुछ ना बोली ।

किसी से कुछ ना कहीं ।।


एक बार नहीं फिर बार-बार अंकल आने लगे ।

मुझे अपने आप से दूर करने लगे ।।


मैंने हंसना छोड़ा ।

मुस्कुराना छोड़ा ।।


 मां को लगा पढ़ने में व्यस्त हो गई ।

दिन महीने बीत गए।।


 मां है समझ गई 

 कुछ तो गड़बड़ जरूर हुई।।


 मेरी हर हरकत में गौर किया ।

जब अंकल आए तो मेरा चेहरा पढ़ लिया ।।


कमरे में मुझको मुझे मेरी मम्मी पापा ने पूछा।

 क्या हुआ मेरा बच्चा ।।


क्यों उदास हो गई।

 तेरी हंसी कहीं खो गई ।।


मैं फूट फूट कर रोई ।

सारी कहानी सुनाई ।।


अंकल कभी नहीं आए फिर घर ।

मम्मी पापा ने मुझे संभाल लिया उस पर।।


 सचेत रहे हर पल ।

घर का भेदी लंका ढाए ।।

छोटे हो बड़े हो ।

बच्चों के दोस्त बनो ।।

लड़का हो लड़की हो ।

उनकी हर कहानी सुनो।।

 क्या पता कुछ अप्रिय घटना घट रही हो।

 वह बता दे।



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