इंतज़ार
इंतज़ार
इंतज़ार देकर गया था, वो नाम-ए-मोहब्बत में
रब से दुआ है मेरी कभी ना हम फिर मिले,
संभाल लिया है मैंने आपने आप को इस इंतज़ार में
फिर भी दिल में कहीं तो छिपी हैं उसी की यादें सारी,
उसी से सवार लुंगी मैं अपनी बाकी की ज़िन्दगी
एक छोटी सी किरण फिर भी राह देखती है उसके आने की,
वो आ जाए तो भी भला नहीं आये तो भी भला
अधूरी सी ये ज़िन्दगी पूरी अब मुझे ही करना है!

