STORYMIRROR

Shiv Kumar Gupta

Action

4  

Shiv Kumar Gupta

Action

इंकलाब के दीवाने

इंकलाब के दीवाने

1 min
284

लिखूं आज कविता उस वीर की

          जो आजादी का दीवाना था

पहन बसंती चोला

           फांसी के फंदे पर वह झूला था


इंकलाब का नारा देकर

        युवाओं में जोश जगाया था

बदला लेने लाला जी का 

        स्कॉट पर हमला बोला था


सुखदेव राजगुरु के साथ 

       गोरों को खून के आंसू रुलाया था

आजादी के इन दीवानों ने

        सांडर्स हत्या कांड रचाया था

        

जाकर कैदखाने में 

       अनशन पर वह बैठा था

खूब झुकाया अंग्रेजों ने 

       पर वो कहां झुकने वाला था


मरने का कोई गम नहीं उसे

        साथ कफन लेकर वह घुमा करता था

जब भी वह कोर्ट में आता

         इंकलाब का नारा लगाया करता था


तय तारीख को जब

       फांसी का समय आया था

अंतिम इच्छा मुक्कमल हुई

       तीनों ने अपने आप को गले लगाया था


फिर इंकलाब का नारा देकर

        हंसते हंसते फांसी को गले लगाया है

जनमानस को देखकर डरे गोरों ने

        सतलज किनारे उन्हें जलाया है


आजादी के इन सेना नायकों का

         कर्ज आज भी हम पर उधारा है

देश के इन वीर शहीदों को

         इनकी पुण्य तिथि पर नमन हमारा है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action