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Shiv Kumar Gupta

Abstract

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Shiv Kumar Gupta

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नारायण मिल जायेगा

नारायण मिल जायेगा

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पता नही किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा

निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा


राम नाम के सागर में डुबकी जब तू लगाएगा

जन्म मरण के बंधन से तु मुक्ति जब ही पाएगा

सबमें राम समाया है नफरत किससे कर पाएगा

सबसे प्यार तू कर ले प्यारे जन्म सफल हो जायेगा

पता नहीं किस रूप.....


खाली हाथ तू आया था और खाली हाथ ही जायेगा

एक पल राम तु जप ले बाद में फिर पछताएगा

हर दुख में तु राम को अपने पास हमेशा पाएगा

राम का नाम तु जप ले प्यारे जन्म सफल हो जायेगा 

पता नहीं किस रूप......


क्या खोया जो पाया है और क्या पाया जो खोएगा

जो लिया राम से अंत समय में राम को ही दे जायेगा

राम नाम की कृपा हमेशा जब भी प्यारे पाएगा

दर पे आए का मान तू रख ले जन्म सफल हो जायेगा 

पता नहीं किस रूप.......


कर्म ही सबकुछ यहां पर कर्म का फल तु पाएगा

बुरा किसीका सोच रहा है बुरा तु खुद का पाएगा

राम नाम जपते ही सारा संकट तेरा मिट जायेगा

राम का नाम तु जप ले प्यारे जन्म सफल हो जायेगा

पता नहीं किस रूप.......


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