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Shiv Kumar Gupta

Abstract

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Shiv Kumar Gupta

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बेटियां

बेटियां

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बेटी है ईमान मेरा 

बेटी मेरी जिंदगी

बेटी से ही घर बने 

बेटी होती घर की लक्ष्मी 


बेटी घर का दीपक है 

रोशन करती घर संसार को

घर के लिए वरदान है ये

सम्मान दिलाए परिवार को


लक्ष्मी की चाह सभी को है

पाने को उसे भागे ये दुनिया

पर लक्ष्मी स्वरूपा बेटी को

गर्भ में ही मारे ये दुनिया


बेटी हँसे तो फूल खिले 

घर में खुशियां लाती है बेटियां 

दो–दो घरों को तारकर 

उन्हें संवारती है ये बेटियां


बेटी पिता का अभिमान है

पराया नहीं ये धन होती है अपना

बेटी नहीं जनोगे तो 

कहां से लाओगे मां की ममता


बेटियां देश का मान बढ़ाती

हर खेल में मेडल जीत के लाती है

सरहद पे खड़ी हिंद की वीरांगना 

लक्ष्मी बाई सी दुश्मन से भिड़ जाती है।


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