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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

4.6  

Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

इम्तिहान की यह घड़ी

इम्तिहान की यह घड़ी

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गुजरते लम्हे कुछ सदा दे रहे हैं 

इंसान थोड़ा ज़िम्मेदार हो जा 

अभी और ज़लज़ले आने बाक़ी हैं 

कुछ तो ज़रा समझदार हो जा


रंगत फ़िज़ाओं की जुदा-जुदा है 

हवाओं ने भी रुख बदल लिया है 

सुकून अभी कुछ थम सा गया है 

मुश्किल है घड़ी, होशियार हो जा 


चैन रूह का गायब है 

चेहरों से रंगत उड़ गई है 

मंज़र मौत का है छाया हुआ 

कुछ अक्ल लगा, ख़बरदार हो जा 


वक्त सख़्त है , टल जायेगा 

हालात तो काबू में हो जाने दे 

खुद सम्बल, औरों को भी संभाल 

इंसानियत का आलमबरदार हो जा 


समझ कुदरत के इशारों को 

लापरवाही ज़रा छोड़ दे 

जिधर देखो खौफ का मंज़र 

कुछ तो तू अज़ीज़दार हो जा 


मत रह गफलत में, जाग जा 

ज़िन्दगी की जंग अभी जारी है 

क़दमों को अपने लगाम दे दे 

अरे खुद का तो पहरेदार हो जा 


दर ओ दीवार अपने सलामत रख

कितने चिराग टिमटिमा रहे हैं 

हाथ में होशियारी की मशाल उठा 

फिर ज़िन्दगी का दावेदार हो जा 


कितने चिराग बेवक्त बुझ गए 

कितने अयाल सड़क पर आ गए 

इम्तिहान की घड़ी आन पड़ी है 

इस जंग का एक हिस्सेदार हो जा...



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