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Kunda Shamkuwar

Abstract Romance Others

4.7  

Kunda Shamkuwar

Abstract Romance Others

इल्यूज़न

इल्यूज़न

2 mins
290


तुम हमेशा बस प्रेम की ही बातें करते थे... क्योंकि तुम आशावादी थे... 

हर आशावादी प्रेमी की तरह तुम्हें दुनिया खूबसूरत लगती थी...

क्योंकि तुम प्रेम में थे...

तुम्हे हर ओर प्रेम नज़र आता था...

हर व्यक्ति में प्रेम दिखता था...


क्योंकि तुम्हें शायद मुझे निराशावादी कहना होता था...

डिप्लोमेसी में तुम मुझे प्रैक्टिकल वुमन कहा करते थे....

ऐसा नहीं की मैं प्रेम में नहीं थी.... 

लेकिन जिंदगी सिर्फ़ प्रेम से तो नही चलती है....

जिंदगी में कई सारी चीजों की दरकार होती है...

समाज की रजामंदी....

समाज जब तब अपनी ताकत का अहसास कराता है...

समाज की इसी सोच से मुझे प्रेम भी कभी खेत की खरपतवार लगता था....

जिसे बस निकालकर फ़ेंका जाना होता है....

समाज भी फिर प्रेमी जोड़े को टारगेट करने लगता है...

कभी रवायतों के नाम पर...

कभी संस्कृति के नाम पर...

कभी देश के गौरव के नाम पर...


समाज फिर देश के गौरव को बचाने निकल पड़ता है....

संस्कृति की रक्षा के नाम पर उस प्रेमी जोड़े को मारने का फरमान जारी किया जाता है....

भागते छिपते वह प्रेमी जोड़ा कोर्ट से सिक्योरिटी माँगता है....

प्रेम क्योंकि मौलिक अधिकार है तो उन्हें सिक्योरिटी मिलती है.....

लेकिन मुझ जैसी प्रैक्टिकल लड़की समाज की ताकत जानती है... 

और तुम जैसे आशावादी प्रेमी कोर्ट के न्याय की ताकत पर भरोसा करते है...

तुम जानते ही हो कि कुछ दिनों के बाद खेत की खरपतवार को नोच कर फेंक दिया जाता है....

अख़बारों में किसी पन्ने में फिर प्रेमी युगल की निघ्रुण हत्या की ख़बर होती है...

तुम हमेशा बस प्रेम की ही बातें करते थे क्योंकि तुम आशावादी थे... 

मैं प्रैक्टिकल वुमन थी क्योंकि मैं समाज की ताकत जानती थी...








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