जब चार घाव लगाता तब देखता, प्रांगण में मुक्त खेल रहे बच्चों को! जब चार घाव लगाता तब देखता, प्रांगण में मुक्त खेल रहे बच्चों को!
बे मौसम बरसात बहुत है। कर्जे की सौगात बहुत है। बे मौसम बरसात बहुत है। कर्जे की सौगात बहुत है।
रात - एक नया नज़रिया। रात - एक नया नज़रिया।
बिखरते फूलों की खुशबू पाऊँ ना बिखरते फूलों की खुशबू पाऊँ ना
वक्त बदला बड़े बूढ़े हुए बच्चे बड़े हुए हर चिड़े ने बना लिया अपना अलग घोंसला वक्त बदला बड़े बूढ़े हुए बच्चे बड़े हुए हर चिड़े ने बना लिया अपना अलग...
समाज के सामने रखा आदर्श एक महान, विधवाओं के लिए छेड़ा पुनर्विवाह अभियान समाज के सामने रखा आदर्श एक महान, विधवाओं के लिए छेड़ा पुनर्विवाह अभियान