आशा
आशा
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जब भी देखूँ ख्वाब
रात बीती बीते ना
पंख फैलाऊँ तो
आसमाँ खुला पड़ा
गरजता ये सागर
पुकारे माँझी को
ढूँढूँ किनारा
किनारा मिले ना
आशाओं का पर्वत
पुकारे हरा भरा
बिखरते फूलों की
खुशबू पाऊँ ना
मैं हूँ दीवाना
आशावादी
जागूँ ना कभी
सपनों में खोया ना !
जब भी देखूँ ख्वाब
रात बीती बीते ना
पंख फैलाऊँ तो
आसमाँ खुला पड़ा
गरजता ये सागर
पुकारे माँझी को
ढूँढूँ किनारा
किनारा मिले ना
आशाओं का पर्वत
पुकारे हरा भरा
बिखरते फूलों की
खुशबू पाऊँ ना
मैं हूँ दीवाना
आशावादी
जागूँ ना कभी
सपनों में खोया ना !