इजाज़त
इजाज़त
मै अपना दर्द तुझे दिखाऊँ
या छुपाऊँ या फिर रहने दूँ,
अब मैं भी कुछ कहूँ
या सिर्फ तुझे ही कहने दूँ।
जो भी गम है उसे भुलाऊँ
या तुझको ही भूल जाऊँ
या खुद को सहने दूँ।
अश्क आँखों में ही रखूँ
या उनमें डूब जाऊँ
या लबों तक बहने दूँ।
अब कोई तुमसा आ गया है
और मेरी नज़रों पे छा गया है
या यूँ कहूँ तो दिल को भा गया है,
अब तेरी इजाज़त हो तो
उसे रोक लूँ या तू कहे तो जाने दूँ।
तेरी खुशबू मेरी साँसों में समाई है,
तू कहे तो उसे सिर्फ महसूस करूँ
या दिल में उतर जाने दूँ।
अगर तेरी ख्वाहिश हो तो
हो जाए फना रूह मेरी
या तू कहे तो जिस्म में ठहरने दूँ।
अगर कोई मुझ से रूठ जाए
या मेरा साथ छूट जाए
या मुझसे खता हो और वह टूट जाए
जो तू कहे तो तुझ सा समेट लूँ
या तू कहे तो खुद सा बिखरने दूँ।
अब तू ही बता हमारा किस्सा
ज़माने को सुनाऊँ या तू कहे तो रहने दूँ।