पहली नज़र का प्यार
पहली नज़र का प्यार
तू जब सामने आई तो साँस रुक सी गई,
तुमको गौर से देखा पर नज़र झुक सी गई।
तेरी खुशबू का असर बाग के हर फूल में था,
मेरा दिल मचल के तेरे क़दमों की धूल में था।
दे चुका था तुझे दिल अब बहुत मुश्किल था जीने में,
ना जाने फिर क्यूं मेरा दिल धड़क रहा था मेरे सीने में।
सोचा कि रोक लूँ तुझको और कुछ बात हो,
पर मैं थम सा गया था अपना होश खोए।
जो तेरे लबों पे हंसी थी नज़र उस पे जा रूकी थी,
तूने मुड़के तो देखा था पर उसमें बेरुखी थी।
तुझे यूँ देख के मुझ पे थोड़ा सितम सा हुआ,
था जितना साफ इरादा सब खत्म सा हुआ।
तू चला गया और मिलने का वादा ना हुआ,
तुझे था जी भर के देखा पर वह भी ज़्यादा ना हुआ।
ऐ काश कि फिर से तेरे हुस्न का दीदार हो जाए,
मेरी रात भर के इबादत का असर हो और तुझे भी प्यार हो जाए।
