ईश्क की दुनिया
ईश्क की दुनिया
इश्क का मैं शायर हूँ, और
इश्क का ख्वाब देखता हूँ।
इश्क की कलम चलाकर मैं,
इश्क की तलाश करता हूँ ।
इश्क करना चाहता हूँ मैं,
कोई माशूका मिली नहीं।
इश्क का रंग क्या होता हे,
वो कभी मुझे मालूम नहीं।
मिल जाये कोई माशूका मुझ को,
इश्क की महफ़िल सजानी है।
इश्क के मयखाने में मुझ को,
इश्क का जाम छलकाना है।
इश्क का जाम पी कर मुझ को,
इश्क की प्यास बुझानी है।
इश्क की मदहोशी में डूबकर,
इश्क की कव्वाली गानी है।
बंदगी मैं करता हूँ खुदा को,
कोई माशूका मुझे मिल जाये।
इश्क की मल्लिका बनाकर "मुरली"
इश्क की दुनिया में खो ज़ाये।

