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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

ईश सा मन !

ईश सा मन !

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सीढ़ी-दर-सीढ़ी वो 

मेरे दिल में उतरी है

जैसा मैंने सोचा था ठीक 

वैसा ही उसका मन है


तभी तो लगता है जैसे 

ये जज्बा मेरा उसका है

सागर में बून्द के मानिंद 

प्यार उसका बरसता है


मैंने देखा है उसका दिल 

बिलकुल ईश के जैसा है

उसकी झील सी आँखों में 

डूबे सारे जज्बों पर अब 


हक एक सिर्फ मेरा है

इन भीगते बरसते मौसमों 

में दिल उसका भी तड़पता है

गवाह है मेरी प्यास अभी 

हमारा मिलन भी तो होना है !  


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