STORYMIRROR

Shivanand Chaubey

Tragedy

3  

Shivanand Chaubey

Tragedy

हत्यारे

हत्यारे

1 min
186

हर इंसा है अपराधी 

और हर इंसा हत्यारा है,

कत्ल करे है मानवता का 

नफरत सबको प्यारा है।


गर्भ में पल रही बेटी मारे

जन्म भी न ले पाई जो,

जाति धर्म के नाम पे झगड़े

हो रहा कैसा यारा है।


कत्ल हो रहे रिश्ते नाते

कत्ल हो रही खुशियां हैं,

कत्ल हो रहे अरमानों की

किश्ती का न किनारा है।


कत्ल हो रहाा वीरों का 

बलिदानों की गौरव गाथा 

कत्ल हो गई मां की लोरी

शिवम जो बचपन प्यारा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy