Bhoop Singh Bharti
Classics
माथै बिंदी बोरला, पायल की झणकार।
पाणी ल्याणे चाल दी, हरयाणे की नार।
हरयाणे की नार, हार पहरा नौ लड़ का।
मटका धर पणहार, माररी झोला कड़ का।
घूंघट की फटकार, उड़ादे सभकी निंदी।
कर सौला सिंगार, चली ला माथै बिंदी।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
भगवान् कृष्ण ने जल में उनको दर्शन कराये अपने दिव्य स्वरुप के। भगवान् कृष्ण ने जल में उनको दर्शन कराये अपने दिव्य स्वरुप के।
भगवान की भक्ति तो बड़ी दुर्लभ है सिद्ध एवं मुक्त पुरुषों में भी। भगवान की भक्ति तो बड़ी दुर्लभ है सिद्ध एवं मुक्त पुरुषों में भी।
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित पूरी शक्ति से प्रहार करने लगे ! श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित पूरी शक्ति से प्रहार करने लगे !
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित उद्धव जी एक उत्तम पुरुष थे . श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित उद्धव जी एक उत्तम पुरुष थे .
प्रह्लाद जी कहें, हे मित्रो दुर्लभ है मनुष्य जन्म बड़ा! प्रह्लाद जी कहें, हे मित्रो दुर्लभ है मनुष्य जन्म बड़ा!
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित देखा भगवान ने कि माता पिता को। श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित देखा भगवान ने कि माता पिता को।
भगवान कृष्ण कहें, हे उद्धव सांख्य शास्त्र सुनाऊँगा अब तुम्हें। भगवान कृष्ण कहें, हे उद्धव सांख्य शास्त्र सुनाऊँगा अब तुम्हें।
पति से प्रेम करने बाली स्त्रियों की शक्ति अपार होती है। पति से प्रेम करने बाली स्त्रियों की शक्ति अपार होती है।
ले सैनिकों को संग देवव्रत हुआ भीड़ मौन थी कालिंदी और मौन थे दोनों तीर। ले सैनिकों को संग देवव्रत हुआ भीड़ मौन थी कालिंदी और मौन थे दोनों तीर।
मानो हजारों सूर्य उग आये शरीर की प्रभा उनकी थी ऐसी! मानो हजारों सूर्य उग आये शरीर की प्रभा उनकी थी ऐसी!
इन्द्रियों को वश में रखे वो दास समान छोटा अपने को माने । इन्द्रियों को वश में रखे वो दास समान छोटा अपने को माने ।
श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भोमासुर ने छीन लिया था. श्री शुकदेव जी कहते हैं परीक्षित भोमासुर ने छीन लिया था.
देखा गया है कि वो प्रायः ही धनी, भोगसंपन्न ही होते! देखा गया है कि वो प्रायः ही धनी, भोगसंपन्न ही होते!
मनुष्य को मृत्यु और अपयश आदि प्राप्त हैं होते। मनुष्य को मृत्यु और अपयश आदि प्राप्त हैं होते।
जिस के पालन से सत्वगुण की वृद्धि हो सबसे श्रेष्ठ है धर्म वही। जिस के पालन से सत्वगुण की वृद्धि हो सबसे श्रेष्ठ है धर्म वही।
गीता ज्ञान अगाध है ,गीता जीवन रीत। ईश जीव सम्बन्ध है ,गीता जीवन गीत। गीता ज्ञान अगाध है ,गीता जीवन रीत। ईश जीव सम्बन्ध है ,गीता जीवन गीत।
अग्नि मुख, सूर्य नेत्र हैं उनके प्राण से वायु प्रकट हुआ। अग्नि मुख, सूर्य नेत्र हैं उनके प्राण से वायु प्रकट हुआ।
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित अक्रूर जी रथ पर सवार हुए। श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित अक्रूर जी रथ पर सवार हुए।
प्रसन्न हुए असुर और देवता बड़े उत्साह से समुन्द्र मथने लगे! प्रसन्न हुए असुर और देवता बड़े उत्साह से समुन्द्र मथने लगे!
भगवान कार्य और क़र्म से परे तीनों गुण उनमें हैं ही नहीं सत्व, रज और तम ये । भगवान कार्य और क़र्म से परे तीनों गुण उनमें हैं ही नहीं सत्व, रज और तम ये ...