हँसते हुए मेरा अकेलापन
हँसते हुए मेरा अकेलापन
हँसते हुए बीतता मेरा अकेलापन!
हरदम तुम्हीं को ढूंढता रहता मेरा मन ,
दुनिया से कोई मतलब न रहा,
तुम्हीं में खुद को रखता मगन !
हर काम को खुद ही करता
किसी के खातिर लगा के लगन ।
हँसते हुए बीतता मेरा अकेलापन!
परवाह मुझे भले ही अपनी ना हो,
पर किसी के लिए न्यौछावर है तन - मन ।
जुड़ गयी तार दिल की उनसे
जिंदगी हुआ उनका आगमन !
हमसफर हम बन गये बाँध लिये सर पर कफ़न।
साथ मिल जाये उनकी जीत जायेंगे सारे अब जंग ।
तारों की शहर में तुझे ले जायेंगे!
तुम चाँद हो बिखेरो अपनी शीतलता की हम-दम !
हँसते हुए बीतता मेरा अकेलापन!!