चाँद का दीदार
चाँद का दीदार
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सज संवर कर आज सजनी
साजना के प्यार में।
बाट जोह रही है देखो
चाँद के दीदार में।।
निर्जला है व्रत धरा जो
साजना चिर आयु हों।
चौथ माता देना वर यह
ताउम्र साजन साथ हों।।
है सजी हाथों में मेहंदी
साजना के नाम की।
पैर की पायल बजे है
प्रेमधुन में साजना की।।
ओढ़ के यह लाल चुनरी
पूजा की थाली लिए।
लेप कर आसन सजाया
करवा शोभित और दिये।।
रोली ,चंदन और अक्षत संग
नमन कर लें सभी।
हों उदित हे! चंद्रदेव
अर्घ स्वीकारें तभी।
है सुहाना पर्व करवा
संस्कृति का सार है।
भक्ति भाव और निष्ठा
दम्पति प्रेम निसार है।।
चाँद इक चमकेगा अंबर
इक धरा पे साथ है।
सज संवर कर चाँदनी को
चाँद का दीदार है।