शिव महिमा
शिव महिमा
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हे! शिव शंभू, गंगाधर, चारु विक्रम, दिगम्बर ,
हर हर हर हर महादेव, गूंजित है सारा अंबर।
डमक डमक डम डमरू बाजे लहरें उठें समंदर,
सत्यम शिवम् सुंदरम का जप हर
मन के है अंदर।।
घनी जटा में गंगा विराजे, ऊर्ध्व सिरे में शशि है साजे,
नंदी सवारी चले हैं शंभू, साथ में ढ़ोल- ताशे बाजे।
शिव हैं प्रतापी, शिव अविनाशी कहलाते नटराजे,
वृष भारुण , कैलाश निवासी,नमो नमः अधिराजे।।
कर में कमंडल,कंठ में माला,कर्ण सजे दृश्य कुंडल,
शिव बिन है यह जगत अधूरा कहते पूरे मंडल।
मृत्युंजय की महिमा से ही विजित है जीवन दंगल,
ॐ नमः शिवाय जपो,सब हो जायेगा मंगल।।