दो दिलों की दास्तान
दो दिलों की दास्तान
पहली नज़र का हल्का सा सुरूर..
कर देता है.. दो दिलो को बेताब..
तुमसे ही दर्द तुमसे ही माया
कैसे करे अब हम इकरार..
कुछ तुमने कहा कुछ हमने सुना..
कुछ बातों का खुला –खुला साज ..
कहानी किस्मत की या हीर रांझा की..
ये रिश्ता क्या है..दिलों का समझा तो दो!
अनजान कोन हो तुम अब बतला तो दो
क्यों फिक्र सी होने लगी है.. तुम्हारी..
क्यों दो दिलो में आपके होने का जिक्र हुआ है..
ये रिश्ता कभी आज तक समझ ना आया..
पिछले जनम का कोई नाता है..
ख्वाबों का अपना कोई वास्ता है...
तुम्हें सोचकर बहुत कुछ लिखती हू..
आज भी मेरा दिल हर बार तुम्हें पाना चाहता है..
ये अपना सच्चा प्यार नहीं तो ओर क्या है...
गुज़ारिश है ...आपसे हमारा रिश्ता बनाए रखना..
कुछ उम्मीद आस नहीं इस दिल को आपकी
फिर भी दिल में एक हमारी याद बनाए रखना!
लिखती हूं... कुछ बातें दिल की..
उसे सिर्फ़ दिल में ही बसे रहने देना!