नही समझ पाई
नही समझ पाई
तुमसे मांगा क्या था तुम विश्वाश बना पाते
अपने आप को हमारी मोहब्बत को समझा पाते
तुम्हे गुरुर था खुद पर उस गुरुर को तुम भुला पाते
हमारी मोहब्बत के बीच गुस्से की दीवार को न लाते
हमारे दिल में तुम अपने विश्वाश का दीपक जला पाते
आई थी कई आंधियां कई तूफान तुमदीपक को बचा पाते
मैं तुम्हारे साथ था काश मुश्किल दौर में साथ निभा पाते
हमने कुछ न मांगा न कुछ चाहा तुम हमें सम्भाल पाते
हमारा अलग होना दोनो को धीरे धीरे तड़पाएगा
हमारे सवालों के जवाब को तुम हमें समझा पाते
मुझे तुमसे प्यार था प्यार रहेगा अब ए दिल कुछ न कहेगा
तुम हमारे प्यार को समझ कर अहम को ठुकरा पाते
हर कदम पर साथ निभाया हर मुश्किल में हाथ थमाया
हमारे साथ कदम से कदम मिला कर शंकाओं को मिटा पाते
अपने दिल को तुम बताना था एक पागल सा दीवाना
उस दीवाने को ठुकराई हो उसके निस्वार्थ प्रेम को न समझ पाई हो ...