हँसकर मुकर गए
हँसकर मुकर गए
आँखों की तेरी झील में जो हम उतर गए ।
कितने ही ख्वाब आज सजे औ निखर गए ।।
अब तक फलक भी खूब हँसा मेरी हार पर ।
पाया जो तेरा साथ तो कुछ बन सँवर गए ।
मौला तू मेरे साथ जरा कर ये फैसला ।
मेरी वफा के फूल खिले तो किधर गए ??
जिनके लिए निसार दिए जाँ औ तन सभी ।
चाहा जो उनका साथ तो हँसकर मुकर गए ।।