उफ ये गर्मी
उफ ये गर्मी
टप टप टप कर चुए पसीना,
विकल सभी नर नारी।
फां फां करके हांफे कुत्ते,
सूख गयी फुलवारी।।
घर से बाहर जाने मे सब,
दशा बिगड़ जाती है।
छाया शीतल पेय वायु ही,
अब तो मन को भाती है।।
दोपहरी को सड़के सूनी,
हाट बाट सुनसान हुए ।
इक्का दुक्का दिखे कोई,
छतरी शिर पर किए हुए।।
भीषण गर्मी ने जीवो को,
किया है बहुत हताश ।
अब तो प्यारे बादल ही,
फिर लाएंगे उल्लास।।