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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

(कोरोना का कहर)

(कोरोना का कहर)

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 कोरोना के इस जानलेवा कहर से हर इंसान घबराया है

दिन –प्रतिदिन इसका बढ़ता रूप हो रहा विकराल है

खतरनाक रूप इसका जीवन में बनकर आया काल है

बहरूपिया वायरस रह-रहकर अपने रंग दिखाता है

ये वायरस उजाड़ रहा घर बड़ा बलशाली कहलाता है

न जाने कब और किसको अपनी आगोश में ले लेता है


मौत के आकड़े न हो रहे कम लोगों का फूल रहा दम है

जिस शहर को बसाया उसे ही छोड़ कर चले जा रहें हैं

ऐसा बरसा कहर अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है  

जान बचाने के लिए हाथ जोड़कर भी लगा रहे गुहार हैं

जिंदगी हो रही समाप्त और लाशों से भर रहा श्मशान है

बाहर निकलने और मिलने से आज डरने लगा इंसान है


अंतिम समय भी न मिल पाया परिवार हो रहा लाचार है

लाशों को लिए शमशान में लगी लम्बी- लम्बी कतार है 

श्मशान का मंजर खौफनाक चारों ओर लाशों का ढेर है

अपनों को बचाने की खातिर हर इंसान आज परेशान है

अस्पतालों में न जगह और ना ही ऑकसीजन मिल रहा

समय नहीं उनके पास अब तो सांसे भी दे रही जवाब है  


इस जिंदगी में न हो जाए हमारे सूनापन इसे समझना है

सड़क पर सूनापन चाहे दिख जाए सुरक्षित हमको रहना है

दो गज की दूरी और मास्क है जरुरी सबको यह कहना है।


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