उम्र भर मुझको जरूरत ने सताया
उम्र भर मुझको जरूरत ने सताया
उम्र भर मुझको जरूरत ने सताया है बहुत
बस जरा और जरा कह के छकाया है बहुत।1।
शौक सब भूल गये छोड़ दिये ख्वाब सभी
हसरतों ख्वाहिशों ने दिल को रूलाया है बहुत।2।
कोई उम्मीद नहीं फिर भी तेरी राहों में
रात भर हमने चरागों को जलाया है बहुत।3।
रात भर नींद से बस जद्दोजहद होती है
खुद को भरमाने को बस करवटें खाया है बहुत।4।
दिन गुजर जाएंगे दहशत भरे रख सब्र जरा
इस तरह दिल को तसल्ली भी बंधाया है बहुत।5।
रोज ही चेहरे बदल जिंदगी मिलती हमसे
हमने उम्मीद का नुक़्ता भी लगाया है बहुत।6।
उड़ गये पंख निकलते ही परिंदे सारे
बागबाँ नीड़ में फिर आँसू बहाया है बहुत।7।
पन्ना पन्ना है मेरी जिन्दगी का इसका गवाह
वक़्त ने मुझको पढ़ा और पढ़ाया है बहुत।8।
देख हालात लगे ख्वाहिशें ढंकने बच्चे
वक़्त से पहले बड़ा वक़्त बनाया है बहुत।9।
तंग गलियों से गुजर जाती है खामोश हयात
पर किताबों में तो कुछ और पढ़ाया है बहुत।10।
