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मुकेश सिंघानिया

Others

4  

मुकेश सिंघानिया

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वक़्त

वक़्त

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तू बता ऐ वक़्त तुझको क्या हुआ

क्यूँ तेरा चेहरा  लगे  उतरा हुआ/1/


हम तेरी खातिर ही भटके दर ब दर

तू नहीं लेकिन कभी अपना हुआ/2/


महफिलें सजती थी कल चौपाल में

दौर अब वो खत्म सब सपना हुआ/3/


हो गये अब गैर जो अपने थे कल

क्या बताएं अब भला क्यूँ क्या हुआ/4/


बस्तियों के बीच छत बस एक थी

अब तो इक घर का कई हिस्सा हुआ/5/


नाप  आते  थे   दुपहरी  धूप में

जैसे सूरज हमसे था सहमा हुआ/6/


क्या मिला बोया जो नफरत मुल्क में

आपसी  रिश्तों का ही हर्जा हुआ/7/


वक़्त की तस्वीर जब खोली गई

कांच फिर चुभने लगा टूटा हुआ/8/


अब न रोटी की यहाँ तू बात कर

अब अकीदा ही  यहाँ  मुद्दा हुआ/9/


राब्ता उनसे  हमारा  अब  भी है

दूर रह कर  और भी गहरा हुआ/10/


कमसिनी में  खेलते थे  साथ ही

वक़्त अब बदला तो सब पहरा हुआ/11/


मुब्तिला है वो तरक्की पर बहुत

मुल्क फिर लगता है क्यूँ ठहरा हुआ/12/


कागजों पर घर बने लाखों मगर

राह में  क्यूँ है बशर सोया हुआ/13/


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