खयालों का जखीरा
खयालों का जखीरा
खयालों का जखीरा हूँ मगर जोकर नहीं हूँ मैं
मैं रखता ताप हूँ लेकिन कोई अख्तर नहीं हूँ मैं/1/
कलम के जोर पर दुनिया जगाने वास्ते निकला
बड़ा ही चोट करता हूँ यूँ तो पत्थर नहीं हूँ मैं/2/
समेटे हूँ मैं भीतर खुद के तूफानी बवंडर इक
समंदर हूँ मैं गहरा आब चुल्लू भर नहीं हूँ मैं/3/
बदलना चाहता हूँ मैं जमाने को कलम के दम
खटकता हूँ मैं लोगों को भले खंजर नहीं हूँ मैं/4/
बड़ा लड़का हूँ मैं घर का बड़ी उम्मीद है मुझसे
अभी भी आस हूँ मैं खंडहर जर्जर नहीं हूँ मैं/5/
मिले जब ओहदों पर शोहदे अपमान है पद का
गलत कहता गलत को मौन रहता पर नहीं हूँ मैं/6/
लिखूँ अब और क्या कुछ भी समझ आता नहीं मेरे
बड़ी जद्दोजहद है चैन से पल भर नहीं हूँ मैं/7/
