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मुकेश सिंघानिया

Classics

4  

मुकेश सिंघानिया

Classics

आंखों में लग के काजल...

आंखों में लग के काजल...

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आंखों में लग के काजल बिखरा जरुर होगा 

रिश्ता  लिबास बन कर  मैला  जरुर होगा ।1।


उम्मीद हो वफा की चादर से कैसे कहिए 

पैबंद से भी  जाहिर  किस्सा जरुर होगा।2।


हम आज अजनबी से हैं शहर में तेरे पर

रिश्ता कोई  यहाँ से  पिछला जरुर होगा।3।


खोने लगे हैं कैसे रिश्ते महक अब अपनी

अपनो के दरमियाँ कुछ धोखा जरुर होगा।4।


ये जिक्र फिक्र तेरा  ख्वाबों खयाल तेरे 

इसके सिवा भी कुछ तो मसला जरुर होगा।5।


सिक्कों में अब जियादा होने लगी खनक है 

इस वजह कोई अपना रूठा जरुर होगा।6।


यूँ रक्त में नहा कर अखबार आज आया 

कल हादसा कहीं पर गुजरा जरुर होगा।7।


अखबार में ही भुखा  रोटी लपेट लाया 

संसद पटल में कल ये हल्ला जरुर होगा।


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