क्या खो गया
क्या खो गया
क्या खो गया किस चीज से डर गया हूँ मैं
माँ कह रही थी की बहुत सुधर गया हूँ मैं
वही शक्ल-ओ-सूरत वही दिल-ओ-दिमाग़
वही लोग मिले जहाँ गया जिधऱ गया हूँ मैं
राह-ए-सफर में कोई हमसफर न मिला मुझे
यहाँ-वहाँ इधर-उधर जाने किधर गया हूँ मैं
ये गली कभी वो गली ये शहर कभी वो शहर
खुद को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते अब बिखर गया हूँ मैं।