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Priyanka Gupta

Abstract

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Priyanka Gupta

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बेटी से बहू बन गई

बेटी से बहू बन गई

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देखो ना एक रात में ज़िंदगी कितनी बदल गई,

कल जो बेटी थी ! किसी की, आज बहू बन गई,


जो दूसरो के कंधे पर जिम्मेदारियों की तरह थीं,

आज खुद के कंधो पर जिम्मेदारिया पड़ गई,


देखो ना एक रात में ज़िंदगी कितनी बदल गई,

अकेले कहां कटने वाला था ये सफ़र,


इसलिए थाम हाथ किसी का , लो! वो चल पड़ी,

बचपने को पीहर में छोड़, द्हलीज ससुराल का लांघ गई,


देखो ना एक रात में ज़िंदगी कितनी बदल गई,

कल जो बेटी थी ! किसी की, आज बहू बन गई।


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