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Savita Gupta

Romance

4  

Savita Gupta

Romance

हमसफ़र

हमसफ़र

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200

1-

ओ !मेरे हमसफ़र हमराज़, चल नदिया के पार।

नदिया जहाँ मिले सागर से, बहती शीतल धार।

 2-

ओ !मेरे आँखों के काजल, चल तारों के छाँव।

चाँदनी बिखरी हो जहाँ पर, उस आँगन के गाँव।   

3-

ओ !मेरे चिराग़ की बाती, आओ नदिया पार।

मिलते हों जहाँ हम और तुम, गले में डाल हार

 4-

ओ !मेघ दूत जम के बरसो, भीगें तन मन गात।

रसों की फुहार जहाँ बरसे , और मिलन की बात।

   5-

नयनों से नयना टकराए, अधरों पर मुस्कान।

पवन झकोरे पास हमारे, चलो करें रस पान।   

6-

मिलन के आस में हूँ खोई, आओ मेरे प्राण।

लगा दो तुम प्यार का टीका, हो रहा अब विहान।



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