हमारी सत्यता पर
हमारी सत्यता पर
एक दिन हालात सभी के डगमगाते हैं...
सिंधु डोल उठेगा सुनामियाँ आयेंगी,
बन्धु बोल उठेगा क्रांतियाँ आयेंगी..
मेरे शब्द मेरा अभिदेश ग्रन्थ हैं,
यही मेरा अभिकर्तव्य यन्त्र है...
अभिक्रान्त की अभिक्रान्ति करो,
अभिकल्प करो अभिव्यक्ति बनो...
मिथ्या अभिकथन राजनीति बंद हो,
मिथ्या अभिकरण राजनीति बंद हो...
कुछ लोग शब्दों की हकीकत पर खीजते हैं,
जबकि शब्द कोई मन कल्पित नहीं होते हैं...
सबको मनसब मनसबी चाहिये,
देश-धर्म-विकास किसे चाहिये...
गठबंधन में मन:पूत कौन सपूत है,
हाँ मनप्रसूत कहो मनसूख है...
हमारी सत्यता पर क्यों तुम्हारा मन संतोष नहीं होता..
क्योंकि उनकी मिथ्या पर आपका मन संताप नहीं होता..
तुम मनसूर नहीं होगे अब साबित,
जबकि था ऐसा ही कुछ काबिज...
असंयत सरकार या इकट्ठे गद्दार,
असंयम दरकार या मयकदे ख्याल...
कभी शब्दों का अस्तमन नहीं होता,
क्योंकि इतिहास का कफन नहीं होता...
कांग्रेस की नीतियां विफल हो गयीं हैं,
भाजपा की भ्रांतियां सफल हो गयी हैं...
खामोशियां सत्य को समझती हैं,
लेकिन हकीकत पर सदा रंज रीझती है..
श्रद्धांजलि देने की लत हो गयी सरकार को,
मिथ्या तथ्यों पर अब भरोसा सब बेकार को..
विदेशों में मसाज होती है विदेशी नीति के पीछे,
यहां बेरोजगारी का उदाहरण है राजनीति के पीछे..
किसी की जिंदगी किसी के नसीब की नहीं है,
तेरी वफा हो या जफा किसी गरीब की नहीं है..
आप लोग यह देख रहे हैं कि हमारा नेता कहां जा रहा है,
जबकि लोगों को देखना यह है कि देश कहां जा रहा है...
बहुतायत तो आप अपना धंधा चलाने के लिये पार्टियों के सपोर्ट में है.
यह सरकारें इन्हीं मिथ्या लोगों के साथ सरकार बनाने के वोट में है..