हमारे त्यौहार
हमारे त्यौहार
बहुत पुरानी रीत है, भारत के त्यौहार
सभी मनाते प्यार से, खुशियों की बौछार।
भाँति-भाँति के लोग हैं, उनके रीत रिवाज
सभी धर्म समभाव से, करते हैं मिल काज।
दीपों का दीपावली, रौशन करते लोग
भाईचारा मन बसे, गले मिले सन्जोग।
होली जलते होलिका, दुष्कर्मों का नाश
प्रेम प्यार का पर्व यह, होता है आभास।
रक्षा बन्धन है यही,भातृ - बहन का प्यार
इक छोटी सी डोर में, बँधा हुआ संसार।
विजय पर्व है दशहरा, मेला लगे अपार
सत्य राह चल राम जी, किये दुष्ट संहार।
विविध रूप त्यौहार के, देख अनेकों रंग
सभी धर्म हैं मानते, सबके अपने ढंग।।
