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Sakshi Yadav

Tragedy Inspirational

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Sakshi Yadav

Tragedy Inspirational

हमारे हीरोज की अनकही दास्तां

हमारे हीरोज की अनकही दास्तां

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वो नन्ही कली वो मुस्काई

वो पकड़े मुझे आँखे भर आई

रोती हुई वो बोल पड़ी

अभी हूँ छोटी अभी न हूँ बड़ी

मुझको यू ऐसे छोड़ो न

पर फ़र्ज़ से नाता तोड़ो न

रोता उसको मैं छोड़ आया

दिल उसका मैं यू तोड़ आया

सोया नहीं मैं कई रातों से

बस देश की सेवा करता रहा

खुद को बहलाया बातों से 

और देश की रक्षा करता रहा

ऐ जान वतन के नाम करी

इसके आगे शीश झुकाता हूँ

हर पल इसकी रक्षा करू मैं

कसम आज ये खाता हूँ

दवा से काम लिया मैंने

जब दिल की दुआ ने न काम किया

हर पल मैं मौत से लड़ता रहा

न मैंने कभी आराम किया

अपने परिवार को छोड़ दिया

और तुम्हें सहारा देता हूँ

तुम परिवार के साथ रहो

दुआ तुम्हें यह देता हूँ

थम जाती है आवाज़ मेरी 

जब सपनों में खो जाता हूँ

कल मैं भी घर को जाऊँगा

ये कहकर वही सो जाता हूँ।


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