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Sakshi Yadav

Romance

4  

Sakshi Yadav

Romance

प्यारी सी शिकायतें

प्यारी सी शिकायतें

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शिकायतें तो बहुत सी है तुमसे

लेकिन शिकायतों का भी एक वक्त होता है

मौसम देखा जाता है ना 

की शिकायतों के सफ़र के बाद ये एक दूसरे को मनाने का सिलिसिला भी तो चलेगा

और अगर मौसम सुहाना हो , हल्की हल्की बारिश के साथ

तो बस एक एक कप चाय हो जाये और जाने कितनी नारागज़ी छू मंतर

अब तुम्हारे जाने से फर्क़ तो बहुत पड़ा है

देखो न अब मेरे चेहरे पर ये हँसी छाये रहती है

तुम ही कहती थी न ...

इस हँसी के पीछे जाने कितने गम इन्तज़ार में बैठे है

कि एक झोखा रुसवाई का आए

और ये गम जितनी ज़ोर से हो सके उतनी ज़ोर से

मुझे चीरता हुआ निकल जाए

तुमने तारीख़ तो दी थी हमारे जुदा हो जाने की

पर फ़लसफ़ा ये भी देखो हमारी बातें और पहले ही बंद हो गई

अब वज़ह कोई मज़बूरी है तुम्हारी या रुसवाई मैं नहीं जानती

मगर इतना जानती हूँ कि कैसे चल रही है जिंदगी तुम्हारे बिना

अभी तो जुदा भी नही हुए है हम 

महज़ बाते ही तो बंद हुई है हमारी

और इतना दर्द...हद की बात है

मुझे नही पता तुम्हारे बिन कैसे संभालूंगी मैं खुद को

क्योंकि एक तुम ही तो मेरी पहली पहुँच हो गम के सावन में।



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