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Sakshi Yadav

Romance

4  

Sakshi Yadav

Romance

मेरे हमसफर तुझसे सीखा

मेरे हमसफर तुझसे सीखा

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376


अब कुछ भी न जानू मैं

न किसी की अब मानू मैं

यकीन अब सबसे उठ गया है

पर ये ख्याल है

इस तरह सा हाल है

कि वो लम्हा जा चुका है

तुमसे सीखा जीना, जीना तुमने सिखलाया

तुमने ही तो दिल को धड़कना सिखलाया

आँखों में आँसू बन

हँसती सौगातें बन

तुमने ही तो प्यार किया

साँसों को मकसद दे 

ख्यालों की हरकत देख

तुमने ही तो इकरार किया

मानू न मैं किसी की बस तेरा ख्याल रह गया है

जानू मैं जब सबकी सुनी , लम्हा वो जा चुका है

तुमसे सीखा जीना , जीना तुमने सिखलाया

तुमने ही तो दिल को धड़कना सिखलाया

न तुम जाना कभी

छोड़ मुझको यहाँ

मतलबी सब है

किसको फुर्सत यहाँ

जाओ जो कभी तो बता देना कि आसरा मेरा जा रहा है

जाते जाते बता जाना कि लम्हा वो जा रहा है

तुमसे सीखा जीना , जीना तुमने सिखलाया

तुमने ही तो दिल को धड़कना सिखलाया

न वफ़ा है, गिला है

ओर से मेरी तुम मज़बूर नहीं

दुनिया छोड़ चुकी हमको तो

अब तुम्हे कोई ज़ोर नहीं

मन न माने, भरी आँखे, दिल ये घबरा रहा है

तुम जाओ तो बता देना कि लम्हा वो जा रहा है

तुमसे सीखा जीना, जीना तुमने सिखलाया

तुमने ही तो दिल को धड़कना सिखलाया।


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